Tuesday 28 January 2014

सावन की अँधेरी काली रातो मे
याद आया मुझको बातो-बातो मे.
एक लड़की नाम था जिसका P.S.,
करता था मै जिससे प्यार बस.

देखते-देखते उसकी शादी हुई,
मेरी आँखों के सामने मेरी बर्बादी हुई.
कुछ कर ना सका मजबूर था मै,
शादी जब हुई तब दूर था मै.

सोचा था शायद बोलेगी वो,
आँखों से भेद खोलेगी वो.
पर चुप ही रही वो शादी तक,
खुदकी और मेरी बर्बादी तक.

सह ना सकेगी तू मेरे प्यार की ज्वाला,
खोलना ही होगा तुझको अपने मन का ये ताला
देखूंगा वफ़ा तेरी, मर जाऊंगा मै जब,
आएगी की नहीं, मेरी कब्र पे तू तब.........https://www.facebook.com/photo.php?fbid=775765389104469&set=a.721775294503479.1073741828.721755391172136&type=1&theater